सरदार जी पूरी जिन्दगी सोचते रहे
सोचते रहे
सोचते रहे
.
.
.
और सोचते सोचते मर गए
की मेरी बहिन के दो भाई हैं तो
मेरा एक ही भाई क्यों हैं
सोचते रहे
सोचते रहे
.
.
.
और सोचते सोचते मर गए
की मेरी बहिन के दो भाई हैं तो
मेरा एक ही भाई क्यों हैं
0 comments:
Post a Comment